अनुबंध के आधार पर नौकरी गैरकानूनी
शिमला
— प्रदेश
उच्च न्यायालय ने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि भर्ती एवं पदोन्नति
नियमों के तहत किए गए चलन के लिए प्रार्थियों को अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया
जाना गैर कानूनी है। इस कारण इन्हें इनकी नियुक्ति की तारीख से स्थायी तौर पर बतौर
स्टेनो टाइपिस्ट, टीजीटी (मेडिकल) टीजीटी (नॉन मेडिकल)
मानते हुए सभी सेवा लाभ अदा किए जाएं। सेवा लाभ 31 मार्च,
2012 तक अदा करने होंगे। अन्यथा नौ फीसदी ब्याज सहित राशि का भुगतान करना
होगा। न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने एक साथ 34 याचिकाओं की
सुनवाई के पश्चात उपरोक्त फैसला पारित करते हुए यह स्पष्ट किया कि सरकार का तबदील
होना उनके अधिकार का हनन करने के लिए कोई कानूनी कारण नहीं है। जब वर्ष 2002
में चयन प्रक्रिया शुरू हो गई थी तो प्रार्थियों का कानूनी तौर पर
वर्ष 2002 या 2003 में चयन
किया जाना जायज बनता था। यह उनका दुर्भाग्य है कि उन्हें सरकार के तबदील होने के
कारण जांच के लिए बाध्य होना पड़ा, जबकि जांच
के दौरान उनके खिलाफ कुछ नहीं पाया गया। जब जांच प्रक्रिया शुरू की गई थी, उस
समय पद भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा आयोजित
लिखित परीक्षा के माध्यम से भेजे जाते थे। 16 जून,
2008 को सरकार द्वारा उन्हें अनुबंध पर रखे जाने का निर्णय कानून सम्मत
नहीं हैं। न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा दी गई इस दलील को खारिज कर दिया कि
सरकार प्रार्थियों को केवल अनुबंध आधार पर रखने की शक्ति रखती थी। जब भर्ती एवं
पदोन्नति नियम रिक्त पदों को भरने के लिए अनुबंध के आधार पर रखने की इजाजत नहीं
देते, तो सरकार अनुबंध पर नहीं रख सकती है।
November
15th, 2011
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