Sunday, 27 November 2011

ग्रांट वाले स्कूलों के शिक्षकों को राहत


हाईकोर्ट का आदेश, सार्वजनिक क्षेत्र के शिक्षकों के बराबर दें वेतन
अमर उजाला ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि ग्रांट इन एड पर चलने वाले स्कूलों के अध्यापकों को सार्वजनिक क्षेत्र के अध्यापकों के बराबर संशोधित वेतनमान दिए जाएं। न्यायालय ने शिक्षा सचिव द्वारा न्यायालय के समक्ष दायर वक्तव्य पर गौर करते हुए आदेशों में स्पष्ट किया कि जब सार्वजनिक क्षेत्रों में अध्यापकों को अनुबंध के आधार पर रखा जा रहा है तो ग्रांट प्राप्त करने वाले स्कूलों में भी यही प्रावधान लागू किया जाए। मगर साथ यह भी ध्यान रखा जाए कि इन्हें दी जाने वाली पगार सार्वजनिक क्षेत्र में अनुबंध वाले अध्यापकों से कम न हो। न्यायालय ने इस बात पर हैरानी जताई है कि वर्तमान में शिक्षक और छात्र का अनुपात 1:18 आंका गया है। न्यायालय ने शिक्षा सचिव को शपथ पत्र के माध्यम से यह स्पष्ट करने के कहा है कि कालेज, सीनियर सेकेंडरी और प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक छात्र अनुपात क्या है? यदि सार्वजनिक क्षेत्रों में यह अनुपात एनसीईआरटी और एनसीटीई के मापदंडों से अधिक है तो भविष्य में और अध्यापकों की नियुक्ति न की जाए, जब तक की तय औसत का दायरा बराबर न हो जाए। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर राज्य सरकार यह पाती है कि अध्यापकों के पद रिक्त हैं और उन्हें भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है तो उन पर इन आदेशों का प्रभाव नहीं पड़ेगा। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र में हर स्तर पर कितने स्कूल हैं, इनमें कार्यरत कितने अध्यापक हैं और ऐसे कितने स्कूल हैं, जिनमें अभी ग्रांट इन एड जारी की गई है।
मामले की सुनवाई 28 दिसंबर को सुबह नौ बजे होगी।
शिक्षा विभाग से कहा, अनुबंध शिक्षकों से कम न हो वेतन, शिक्षक-छात्र अनुपात ज्यादा हो तो आगे न करें भर्ती
Courtesy :http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20111127a_001161004&ileft=225&itop=947&zoomRatio=182&AN=20111127a_001161004

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