सोलन — प्रदेश के सैकड़ों प्रशिक्षण प्राप्त जेबीटी वर्तमान में
बेरोजगार बैठे हैं तथा सरकार व प्रदेश शिक्षा विभाग की बेरुखी से परेशान हैं।
प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग का रुख उनके प्रति न बदलने पर प्रशिक्षण प्राप्त
जेबीटी युवा सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने की तैयारी कर रहे हैं। प्रदेश के करीब 2250 छात्र (2008-10) में जेबीटी कर चुके
हैं तथा उन्हें नौकरी नहीं मिली है, जबकि अन्य इतने ही
छात्र और जेबीटी कर रहे हैं जिनके नौकरी लगने की उम्मीद कोसों दूर तक नजर नहीं आ
रही है। प्रशिक्षित जेबीटी (2008-10) प्रशिक्षण के एक वर्ष के बीत जाने के बाद भी नियुक्ति के लिए
तरस रहे हैं। जेबीटी के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि प्रशिक्षण का एक
वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रशिक्षण प्राप्त सभी जेबीटी बेरोजगार हैं तथा सरकार और
शिक्षा विभाग की गलत नीतियों का परिणाम भोग रहे हैं। एक तरफ सरकार व शिक्षा विभाग
बार-बार बयानबाजी करके जल्द नियुक्ति देने की बात करते हैं, वहीं दूसरा ओर
सरकारी स्कूलों को बंद करने की खबरें लगातार सुर्खियां नित्यप्रति बन रही हैं।
प्रशिक्षित जेबीटी संघ का कहना है कि एक तरफ मुख्यमंत्री 1461 उत्तीर्ण (सरकारी
संस्थान) जेबीटी प्रशिक्षितों में से केवल 1293 की नियुक्ति की
घोषणा करते हैं तथा दूसरी सूचना अधिकार द्वारा प्राप्त सूचना में केवल 411 रिक्तियां बताई
जाती हैं, जो कि एक गलत आंकड़ा है। साथ ही बचे हुए 168 सरकारी संस्थान से
प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों और निजी प्रशिक्षण संस्थाओं से प्रशिक्षित 750 जेबीटी को नियुक्ति
के लिए स्वीकृत न देने पर उन के साथ धोखा कर रही है। जब 2250 प्रशिक्षितों को ही
सरकार के पास नौकरियां नहीं हैं तो वर्तमान में चल रहे जेबीटी बैच (2010-12) के अभ्यर्थियों को
कम से कम 10 वर्षों तक नौकरी की आशा ही छोड़ देनी चाहिए। प्रदेश जेबीटी
प्रशिक्षण प्राप्त संघ के प्रदेश संयुक्त सचिव नरेश कुमार ने बताया कि सरकार अपनी
गलत नीतियों से सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है तथा निजी संस्थानों को बढ़ावा दे
रही है, जो कि एक चिंतनीय
विषय है। अगर सरकार के पास जेबीटी को नौकरियां ही नहीं हैं तो इस तरह के
प्रशिक्षणों को बंद कर देना चाहिए। सरकार व शिक्षा विभाग जल्द से जल्द प्रशिक्षण
प्राप्त सभी जेबीटी को एक साथ नियुक्ति नहीं देती है तो सरकार को इसके गंभीर
परिणाम भोगने होंगे।
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