Wednesday, 21 March 2012

हिमाचल प्रदेश के हर कर्मचारी की बजट पर टकटकी


(सुरिंद्र मनकोटिया,लेखक, हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (मनकोटिया गुट)के अध्यक्ष हैं)
उस लाभ का क्या फायदा जो अनाउंस आज हो और दिया जाए तीन-चार महीने बाद। ऐसा करने से कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य सभी वर्गों के लोगों को महंगाई की मार एक बार की बजाय तीन-चार बार सहन करनी पड़ती है
आज हिमाचल प्रदेश का हर कर्मचारी आने वाले बजट पर टकटकी लगाए बैठा है और उम्मीद लगाए बैठा है कि यह सरकार अपने आखिरी चुनावी साल, बजट में कर्मचारियों को वह सब कुछ दे देगी, जिनको देने में सरकार ने इतने वर्ष निकाल दिए, पिछली जेसीसी की दो बैठकें तो खाली आश्वासनों में ही चली गई थीं और जो तीसरी आखिरी जेसीसी 31 दिसंबर को हुई, उसमें की गई घोषणा भी अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। उस लाभ का क्या फायदा जो अनाउंस आज हो और दिया जाए तीन-चार महीने बाद। ऐसा करने से कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य सभी वर्गों के लोगों को महंगाई की मार एक बार की बजाय तीन-चार बार सहन करनी पड़ती है। कर्मचारियों ने इस सरकार को अपना सारा समर्थन देकर सत्ता में लाया था, क्योंकि इस सरकार ने अपने भाषणों में बड़ी-बड़ी घोषणाएं की थीं, चुनावी घोषणा पत्र 2007, जिसे बाद में पालिसी डाक्यूमेंट घोषित भी किया था। परंतु जल्दी ही यह खुशफहमी रफूचक्कर हो गई, कर्मचारियों को तो उस समय जैसे सांप ही सूंघ गया जब सरकार ने हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक प्राधिकरण को सुदृढ़ करने की बजाय उसे बंद कर दिया, जिसका खामियाजा कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य वर्गों के लोगों को भी भुगतना पड़ा। पंजाब सरकार ने 27 मई, 09 को पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया। उसी का अनुसरण करते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी 26 अगस्त,09 को इन्हें जारी कर दिया, परंतु इसके साथ किसी भी भत्ते को रिवाइज नहीं किया। जब एरियर दिया तो छह किस्तों, यानी दस मार्च, 10 में दस हजार रुपए, दो नवंबर,10 में भी दस हजार रुपए, दस मार्च,11 को पिछला मिलाकर क्लास एक तथा दो को 30 प्रतिशत तथा क्लास तीन को 40 प्रतिशत, 17 अगस्त,11 को दस प्रतिशत, आठ फरवरी,11 को बकाया का 50 प्रतिशत तथा पांच मार्च,12 को बकाया, जो अभी अप्रैल माह में जीपीएफ में जाएगा, दो साल में देकर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। आर्थिक तंगी की बात सरकार नहीं कर सकती, क्योंकि अगर ऐसा होता तो सरकार ने क्यों आईएएस, आईपीएस और एएफएस को 2008-09 में सारा एरियर दे दिया।सरकार की कार्यप्रणाली कई और मामलों में भी तर्कसंगत नहीं रही है। उनमें कुछ एक मामले यह हैं कि इन्होंने अति कठिन, दुर्गम, पहाड़ी, जनजातीय स्थानों पर कार्य करने वाले अपने घर-बार से दूर रहकर तथा अपनी जान को जोखिम में डालकर कार्य करने वाले कर्मचारियों के साथ न्याय न करते हुए, ऐसे दो कर्मचारियों को सिविल सर्विस रिवार्ड दे दिया जो सचिवालय में बैठकर,  घर परिवार के साथ रहकर आराम की नौकरी कर रहे हैं, जबकि यह रिवार्ड एक्सेप्शनल वर्क के लिए दिया जाना था। दूसरा पुलिस की शान कहलाने वाली खाकी वर्दी को बदलकर नीली वर्दी कर दिया था और तीसरा जो अभी हाल ही आदेश किए हैं कि जो केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों की छुट्टियां बढ़ाईं, वे हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को नहीं मिलेंगी। जबकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि केंद्र के नियमों को हिमाचल प्रदेश में बदला गया हो, क्योंकि हिमाचल प्रदेश केंद्र के नियमों को अक्षरशः अडॉप्ट करता है और चौथा कार्य जो इस सरकार ने किया वह यह है कि हजारों तबादले इस सरकार ने बदले की भावना से किए और जब कोई चारा नहीं चला तो या तो किसी का विभाग ही बदल दिया या फिर किसी श्रेणी का जिला कैडर से बदलकर राज्य कैडर कर दिया। यह सब निराशाजनक बातें हैं, जिन पर सरकार को गौर करना चाहिए। इसलिए हमारा कहना है कि हिमाचल प्रदेश सरकार भी पंजाब का अनुसरण करते हुए सारे लंबित वित्तीय लाभों को जिसमें बढ़ी हुई ग्रेड पे 4-9-14 वर्ष बाद मिलने वाली वेतन वृद्धि, भत्ते, प्रतिपूरक भत्ता, चिकित्सा भत्ता, जनजातीय, शीतकालीन, टीए, डीए, मकान भत्ता 2006 से दस से 30 प्रतिशत में, जुलाई,11 से महंगाई भत्ता, परिवार नियोजन भत्ता, विशेष भत्ते, वाहन भत्ता, शिक्षा भत्ता मोबाइल भत्ता, टंसपोर्टेशन अलाउंस, सचिवालय भत्ता, धर्मशाला के कर्मचारियों को राजधानी भत्ता आदि को इस बजट में शामिल करे और अप्रैल माह में ये सारे वित्तीय लाभ जारी करे। क्योंकि इन लाभों को देने में पहले ही बहुत देर हो चुकी है, हर कर्मचारी को हर माह चार-पांच हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। जिस कारण आज हर कर्मचारी के मन में रोष है। अगर अभी भी लाभ एक बार में जारी नहीं किए जाते हैं,तो हो सकता है कि कर्मचारियों का गुस्सा आने वाले समय में कुछ और ही परिणाम दे।
March 17th, 2012

No comments:

Post a Comment