Saturday, 24 March 2012

हिमाचल प्रदेश सरकार ने कहा, पे कमीशन नहीं बनेगा


शिमला. हिमाचल प्रदेश सरकार अपना स्वतंत्र पे-कमीशन नहीं बनाएगी। मुख्य सचिव की ओर से हाईकोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि सरकार फिलहाल स्वतंत्र पे-कमीशन बनाने के हक में नहीं है। सरकार का कहना है कि किसी भी राज्य का अपना स्वतंत्र पे-कमीशन बनाना जरूरी नहीं है। 




सरकार की दलील है कि देश में 21 राज्य ऐसे हैं, जिनके पास अपना स्वतंत्र पे-कमीशन नहीं है। इनमें 20 राज्य केंद्रीय पे-कमीशन की सिफारिशों को अमल में लाते हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश पंजाब पे-कमीशन की सिफारिशों को मानता है। सरकार का कहना है कि प्रदेश में अपना स्टॉफ पैटर्न होने के कारण पंजाब पे-स्केल की सिफारिशों को ज्यों का त्यों नहीं अपनाया जाता। प्रत्येक वर्ग के लिए सोच समझ कर कमीशन की सिफारिशों पर अमल में लाया जाता है। जरूरी नहीं है कि इसके लिए अलग से पे-कमीशन बनाया जाए।



कोर्ट ने दिए थे निर्देश

सरकार को हाईकोर्ट की ओर से दिए गए स्वतंत्र पे-कमीशन बनाने के निर्देशों पर सरकार ने कहा है कि फिलहाल प्रदेश में वर्ष 2006 के पंजाब पे-कमीशन की सिफारिशों पर कर्मियों की पे रिवाइज की जा चुकी है। अत: अभी पे-कमीशन के गठन पर विचार नहीं किया जा रहा है। 


सरकार ने कहा है कि जब भी नए पे स्केल रिवाइज किए जाते हैं] तब वह उच्च न्यायालय के आदेशों को संबोधित करेगी। सरकार की ओर से पंजाब पे स्केल रिवीजन पर ढुलमुल रवैये के कारण न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले कुछ शिक्षकों की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे कि स्वतंत्र पे-कमीशन बनाया जाए।


इसलिए कोर्ट गए थे कर्मी
वेतनमानों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कोई भी फैसला लेने के लिए पंजाब पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे कर्मचारियों को काफी वित्तीय नुकसान होता है।



क्या फायदा-क्या नुकसान

हिमाचल सरकार कर्मचारियों के वेतनमान के लिए पंजाब का अनुसरण करती है। राज्य के अलग वेतनमान आयोग की मांग लंबे समय से उठ रही है। वित्त विभाग का मत है कि इससे राज्य के कर्मचारियों को अधिक फायदा नहीं होगा, चूंकि राज्य के गंभीर वित्तीय हालत के कारण आयोग सकारात्मक सिफारिशें नहीं कर पाएगा। दस साल में एक बार आने वाली आयोग की सिफारिशों को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि सरकार अपने स्तर पर कुछ विशेष वित्तीय लाभ दे सकती है।

Wednesday, 21 March 2012

हिमाचल प्रदेश के हर कर्मचारी की बजट पर टकटकी


(सुरिंद्र मनकोटिया,लेखक, हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (मनकोटिया गुट)के अध्यक्ष हैं)
उस लाभ का क्या फायदा जो अनाउंस आज हो और दिया जाए तीन-चार महीने बाद। ऐसा करने से कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य सभी वर्गों के लोगों को महंगाई की मार एक बार की बजाय तीन-चार बार सहन करनी पड़ती है
आज हिमाचल प्रदेश का हर कर्मचारी आने वाले बजट पर टकटकी लगाए बैठा है और उम्मीद लगाए बैठा है कि यह सरकार अपने आखिरी चुनावी साल, बजट में कर्मचारियों को वह सब कुछ दे देगी, जिनको देने में सरकार ने इतने वर्ष निकाल दिए, पिछली जेसीसी की दो बैठकें तो खाली आश्वासनों में ही चली गई थीं और जो तीसरी आखिरी जेसीसी 31 दिसंबर को हुई, उसमें की गई घोषणा भी अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। उस लाभ का क्या फायदा जो अनाउंस आज हो और दिया जाए तीन-चार महीने बाद। ऐसा करने से कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य सभी वर्गों के लोगों को महंगाई की मार एक बार की बजाय तीन-चार बार सहन करनी पड़ती है। कर्मचारियों ने इस सरकार को अपना सारा समर्थन देकर सत्ता में लाया था, क्योंकि इस सरकार ने अपने भाषणों में बड़ी-बड़ी घोषणाएं की थीं, चुनावी घोषणा पत्र 2007, जिसे बाद में पालिसी डाक्यूमेंट घोषित भी किया था। परंतु जल्दी ही यह खुशफहमी रफूचक्कर हो गई, कर्मचारियों को तो उस समय जैसे सांप ही सूंघ गया जब सरकार ने हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक प्राधिकरण को सुदृढ़ करने की बजाय उसे बंद कर दिया, जिसका खामियाजा कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य वर्गों के लोगों को भी भुगतना पड़ा। पंजाब सरकार ने 27 मई, 09 को पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया। उसी का अनुसरण करते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी 26 अगस्त,09 को इन्हें जारी कर दिया, परंतु इसके साथ किसी भी भत्ते को रिवाइज नहीं किया। जब एरियर दिया तो छह किस्तों, यानी दस मार्च, 10 में दस हजार रुपए, दो नवंबर,10 में भी दस हजार रुपए, दस मार्च,11 को पिछला मिलाकर क्लास एक तथा दो को 30 प्रतिशत तथा क्लास तीन को 40 प्रतिशत, 17 अगस्त,11 को दस प्रतिशत, आठ फरवरी,11 को बकाया का 50 प्रतिशत तथा पांच मार्च,12 को बकाया, जो अभी अप्रैल माह में जीपीएफ में जाएगा, दो साल में देकर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। आर्थिक तंगी की बात सरकार नहीं कर सकती, क्योंकि अगर ऐसा होता तो सरकार ने क्यों आईएएस, आईपीएस और एएफएस को 2008-09 में सारा एरियर दे दिया।सरकार की कार्यप्रणाली कई और मामलों में भी तर्कसंगत नहीं रही है। उनमें कुछ एक मामले यह हैं कि इन्होंने अति कठिन, दुर्गम, पहाड़ी, जनजातीय स्थानों पर कार्य करने वाले अपने घर-बार से दूर रहकर तथा अपनी जान को जोखिम में डालकर कार्य करने वाले कर्मचारियों के साथ न्याय न करते हुए, ऐसे दो कर्मचारियों को सिविल सर्विस रिवार्ड दे दिया जो सचिवालय में बैठकर,  घर परिवार के साथ रहकर आराम की नौकरी कर रहे हैं, जबकि यह रिवार्ड एक्सेप्शनल वर्क के लिए दिया जाना था। दूसरा पुलिस की शान कहलाने वाली खाकी वर्दी को बदलकर नीली वर्दी कर दिया था और तीसरा जो अभी हाल ही आदेश किए हैं कि जो केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों की छुट्टियां बढ़ाईं, वे हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को नहीं मिलेंगी। जबकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि केंद्र के नियमों को हिमाचल प्रदेश में बदला गया हो, क्योंकि हिमाचल प्रदेश केंद्र के नियमों को अक्षरशः अडॉप्ट करता है और चौथा कार्य जो इस सरकार ने किया वह यह है कि हजारों तबादले इस सरकार ने बदले की भावना से किए और जब कोई चारा नहीं चला तो या तो किसी का विभाग ही बदल दिया या फिर किसी श्रेणी का जिला कैडर से बदलकर राज्य कैडर कर दिया। यह सब निराशाजनक बातें हैं, जिन पर सरकार को गौर करना चाहिए। इसलिए हमारा कहना है कि हिमाचल प्रदेश सरकार भी पंजाब का अनुसरण करते हुए सारे लंबित वित्तीय लाभों को जिसमें बढ़ी हुई ग्रेड पे 4-9-14 वर्ष बाद मिलने वाली वेतन वृद्धि, भत्ते, प्रतिपूरक भत्ता, चिकित्सा भत्ता, जनजातीय, शीतकालीन, टीए, डीए, मकान भत्ता 2006 से दस से 30 प्रतिशत में, जुलाई,11 से महंगाई भत्ता, परिवार नियोजन भत्ता, विशेष भत्ते, वाहन भत्ता, शिक्षा भत्ता मोबाइल भत्ता, टंसपोर्टेशन अलाउंस, सचिवालय भत्ता, धर्मशाला के कर्मचारियों को राजधानी भत्ता आदि को इस बजट में शामिल करे और अप्रैल माह में ये सारे वित्तीय लाभ जारी करे। क्योंकि इन लाभों को देने में पहले ही बहुत देर हो चुकी है, हर कर्मचारी को हर माह चार-पांच हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। जिस कारण आज हर कर्मचारी के मन में रोष है। अगर अभी भी लाभ एक बार में जारी नहीं किए जाते हैं,तो हो सकता है कि कर्मचारियों का गुस्सा आने वाले समय में कुछ और ही परिणाम दे।
March 17th, 2012

पटवारियों पर बढ़ता बोझ कम करे सरकार

सोलन   संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो संघ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि उनकी लंबित मांगों को शीघ्र पूरा किया जाए। संघ के प्रदेश महासचिव राकेश शर्मा ने यहां जारी किए गए प्रेस बयान में कहा कि  जो मांगें संघ की बैठक में उठाई गई है, उन्हें जल्द ही सरकार के साथ होने वाली बैठक में पेश किया जाएगा। राकेश शर्मा ने कहा कि संघ पिछले काफी अरसे से पटवारियों के बढ़ते हुए कार्यभार को कम किया जाए। इसी प्रकार प्रदेश में भी राजस्व विभाग के कर्मियों को पंजाब की तर्ज पर संशोधित वेतनमान व पे ग्रेड प्रदान किया जाए। सरकार ने पटवारियों को सप्ताह में तीन दिन कार्यालय में बैठकर जनसाधारण के कार्य निपटाने के निर्देश दिए गए है, ऐसे मौके पर संबंधी कार्य के लिए सप्ताह में केवल तीन दिन ही बचते है। राजस्व चौकीदारों के रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए। संघ की मांग है कि सहायक कार्यालय कानूनगो व भू-सुधार कानूनगो को अपग्रेड किया जाए। कम्प्यूटरीकृत कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए मुख्यालय, तहसील व उपतहसील कार्यालयों में दो पटवारी तथा एक कानूनगो के पद को सृजित किया जाए।
March 22nd, 2012

Sunday, 18 March 2012

आकस्मिक ग्रामीण राजस्व अधिकारियों को पक्की नौकरी दें


सोलन- राजस्व विभाग में कार्यरत आकस्मिक ग्रामीण राजस्व अधिकारी, जो सरकार द्वारा अप्रैल, 2005 में तैनात किए गए हैं, उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। इतना ही नहीं सरकार द्वारा इन्हें महज 4800 रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है, जिससे गुजारा करना बहुत मुश्किल है। भू-व्यवस्था ग्रामीण राजस्व अधिकारी संघ की बैठक प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम सिंह गुलेरिया की अध्यक्षता में रविवार को हुई, जिसमें उन्होंने उक्त आरोप लगाया। संघ द्वारा बैठक में सरकार से मांग की गई कि उक्त शोषित कर्मचारियों को स्थायी नियुक्ति प्रदान की जाए। महंगाई के इस दौर में महज 4800 रुपए में परिवार का पालन-पोषण किया जाना मुश्किल है।
March 19th, 2012

राजस्व विभाग के 72 हजार के बिजली बिल अटके

सलूणी — सलूणी तहसील कार्यालय से बिजली के बिल के तौर पर 72 हजार रुपए की देनदारी स्टैंड पड़ी हुई है। बिजली बोर्ड के बार-बार के पत्राचार के बावजूद तहसील कार्यालय ने पेंडिंग बिल की अदायगी को लेकर कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया। तहसील कार्यालय के रवैये को देखते बोर्ड के  सहायक अभियंता टीआर चौधरी ने मामले को कार्रवाई हेतु उच्चाधिकारियों को भेज दिया है। उच्चाधिकारियों के आदेशों के बाद ही आगामी कदम उठाए जाएंगे। उधर, बताया जा रहा है कि बजट के अभाव के कारण तहसील कार्यालय के बिजली के बिल का भुगतान नहीं हो पाया है। बताते चलें कि बिजली बोर्ड ने इन दिनों पेंडिंग बिलों की उगाही के लिए बड़े पैमाने पर अभियान छेड़ रखा है। इसी कवायद के पहले चरण में 199 डिफाल्टर उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटने के आदेश भी जारी कर दिए हैं। माना जा रहा है कि दूसरे चरण में बिजली बोर्ड के पैसों पर कंुडली मारे बैठे सरकारी कार्यालय भी इस फेर में आ सकते हैं और ऐसे डिफाल्टर सरकारी कार्यालयों के कनेक्शन भी काटे जा सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि  अरसे से सलूणी तहसील कार्यालय ने बिजली के बिल का भुगतान नहीं किया है और बढ़ते- बढ़ते बिजली का बिल 72 हजार रुपए पहंुच गया है। बिल के बढ़ते अमाउंट को देखते हुए बिजली बोर्ड ने उगाही के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। तहसील कार्यालय के ढुलमुल रवैये को देखते हुए मामले को बोर्ड के उच्चाधिकारियों को भेज दिया गया है। दूसरी ओर, तहसीलदार सलूणी प्रताप ठाकुर ने बताया कि बजट न होने के कारण बिजली के बिल का भुगतान नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि बजट का प्रावधान होते ही बिल का भुगतान कर दिया जाएगा। उन्होंने माना है कि सरकारी मानकों के तय बजट से अधिक बिजली का बिल आ रहा है।
March 19th, 2012


Thursday, 15 March 2012

पटवारियों को जल्द मिलेंगे पहचान पत्र


शिमला — पटवारियों को जल्द पहचान पत्र जारी होंगे, जिससे वे अपने कार्यों का निर्वाहन बेहतर तरीके से कर सकेंगे।  हिमाचल भू-व्यवस्था ग्रामीण राजस्व अधिकारी पटवारी संघ की कार्यकारिणी की गुरुवार को हुई बैठक में भू-व्यवस्था अधिकारी बीआर वर्मा ने इसके लिए आश्वासन दिया। बैठक के दौरान संघ की 19 सूत्री मांगों पर विस्तृत चर्चा की गई। इसमें भू-व्यवस्था विभाग में दैनिक भोगी पटवारियों को स्थायी करना, आधुनिक प्रणाली में बंदोबस्त कर रहे पटवारियों को पायलट प्रोजेक्ट भत्ता प्रदान करना, सिरमौर जिला के पायलट प्रोजेक्ट में तैनात पटवारियों को कम्प्यूटर प्रशिक्षण प्रदान करना आदि मुख्य मांगें शमिल थीं। संघ के प्रेस सचिव गौरी दत्त शर्मा ने बताया कि भू-व्यवस्था अधिकारी ने इन सभी मांगों को जायज ठहराते हुए उन्हें जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया। संघ की कार्यकारिणी के सदस्य रमेश, प्रताप सिंह, गौरीदत्त शर्मा, हरिराम, वेद प्रकाश, भूपेंद्र सिंह, धमेंद्र सिंह ने भू-व्यवस्था अधिकारी बीआर वर्मा द्वारा उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने तथा कुछ मांगों को सरकार के समक्ष उठाकर पूरा करने के लिए धन्यवाद दिया।
March 16th, 2012

Recruitment in PCS (EB) and allied services to be made every year

March 10, 2012 | NEWS
Chandigarh, March 9 (BB): The Punjab Government has decided to carry out the process of recruitment of PCS (EB) and Allied Services and relevant rules would be amended to this effect.
A decision in this regard was taken in a meeting held by Punjab Chief Minister Mr. Parkash Singh Badal here today in which in which Chief Secretary Mr. S.C. Agrawal, Principal Secretary Finance Mr. KBS Sidhu, Principal Secretary to CM Mr. SK Sandhu, Chairman PPSC Lt. Gen R.S. Sujlana participated. It was decided that the entire process of selection of PCS (E.B.) and Allied Candidates as well as PCS officers including 31 nomination posts would be completed by PPSC before June 30, 2012. The meeting also decided that the requisition for filling up the posts of PCS and Allied Services, which will become available till June 30, 2013, will also be finalized and sent to PPSC by April 30, 2012. The Chief Minister also issued instructions for identification and action for the construction of New Administrative Complex for the PPSC at Patiala immediately and it was decided that the recruitment for 26 vacant posts of PPSC would be made by Commission itself.
It was also decide that the recruitment for Senior Assistants and Junior Engineers scale posts of all other equivalent scales/ grades in the state would be undertaken by Services Selection Board, Punjab only.The meeting also decided to devise new method of recruitment for junior engineer through Common Entrance Test by Punjab Technical University or National Institute of Technology or some other competent organization. The meeting decided to raise the honorarium of Rs 25,00 for Chief Examiner and Rs 2000 for examiner to the level of UPSC. It was decided that it would be also paid to all those, who have checked papers of ongoing recruitment. The meeting also decided that the practice of filling up Government posts on outsourcing basis should be phased out and Specific Services like Security, Housekeeping, Sanitation, Transport etc may be outsourced. 

पंजाब में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष किए जाने के आसार

चण्डीगढ़ (नरेश शर्मा)- पंजाब की अकाली भाजपा सरकार के शपथ लेने के पश्चात 19 मार्च से प्रारम्भ होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष करने की घोषणा हो सकती है । सूत्रों से पता चला है कि सरकार इस बारे में गम्भीरता से विचार कर रही है । यह फैसला राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए लिया जा रहा है । अकाली भाजपा सरकार ने कर्मचारी वर्ग को प्रसन्न करने के लिए चुनाव से पहले दिल खोल कर तोहफे दिए थे । परन्तु इस समय राज्य की वित्तीय स्थिति दयनीय हो चुकी है । इस लिए राज्य सरकार सेवानिवृत्ति आयु बढ़ा कर वित्तीय राहत प्राप्त करना चाहती है । आयु सीमा बढ़ने से सरकार का वित्तीय बोझ 2 वर्ष के लिए टल जाएगा । तब तक सरकार वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए कोई अहम फैसला ले सकती है । 
सूत्रों की माने तो पहली मन्त्रीमण्डलीय बैठक में इस बारे फैसला लिया जा सकता है । आकाली भाजपा सगठबन्धन ने 2007 के चुनाव प्रचार के दौरान कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष करने का वायदा किया था ।

Tuesday, 13 March 2012

पंजाब की तर्ज पर वेतन के लिए हिमाचल विधानसभा का घेराव

शिमला। प्रदेश की हजारों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने सोमवार को पंजाब की तर्ज पर वेतन में बढ़ोतरी न होने के विरोध में विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया। माकपा के बैनर तले यूनियन ने पहले पंचायत घर में एकत्र होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद महिलाएं एकजुट होकर विधानसभा पहुंची। यूनियन ने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो आंदोलन तेज किया जाएगा।



केंद्र की राशि में कटौती 

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की यूनियन अध्यक्ष इंदिरा ठाकुर ने बताया कि केंद्र सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन में 1500 और सहायिकाओं के वेतन में 700 रुपए की बढ़ोतरी की थी, लेकिन सरकार ने कार्यकर्ताओं के वेतन में 300 रुपए और सहायिकाओं के वेतन में 200 रुपए की कटौती कर दी। 



मुख्यमंत्री ने कटौती बहाल करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ। यूनियन ने प्रदेश सरकार से पंजाब की तर्ज पर वेतन बढ़ाने की मांग की है। महासचिव सरोज शर्मा ने कहा कि पंजाब में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 5000 जबकि सहायिकाओं को 4000 रुपए मासिक वेतन मिल रहा है। हिमाचल प्रदेश में यह वेतन क्रमश: 1800 और 900 रुपए है।
Courtesy : http://www.bhaskar.com/article/HIM-OTH-himachal-punjab-assembly-lines-laid-siege-pay-2967954.html

आय प्रमाण पत्र लेना अब मुश्किल

अब सिर्फ पटवारी की रिपोर्ट पर ही लोगों के आय प्रमाण पत्र नहीं बनेंगे। इसके लिए अब कृषि, बागवानी और पशुपालन विभाग की रिपोर्ट भी अनिवार्य बना दी गई है। आय प्रमाण पत्र के लिए कृषि, बागवानी और दूध उत्पादन को आधार बनाया जाएगा। 
कृषि और बागवानी विभागों ने सर्किल वाइज प्रति बीघा फसल उत्पादन की आय तय की है। एक अप्रैल से नए प्रावधान के तहत प्रमाण पत्र बनाए जाएंगे। अब तक पटवारी जमीन के आधार पर आय प्रमाण पत्र बनाता है। पशुपालन विभाग ने सर्कल वाइज प्रति किलो दूध की कीमत निर्धारित कर राजस्व विभाग को सौंप दी है। आय प्रमाण पत्र के लिए यह रेट एक साल के लिए तय किए गए हैं। सरकार ने प्रमाण पत्र के लिए नया प्रावधान तो लागू कर दिए हैं, लेकिन इसमें भी एक बड़ा पेंच नजर आ रहा है। बाजार में फसलों के साथ-साथ सब्जियां और फलों के दाम हर रोज परिवर्तित होते रहते हैं। 
कृषि विभागों ने इसकी कीमत सर्कल वाइज प्रति बीघा पहले ही निर्धारित कर दी है। हर पटवारखाने में इन विभागों की ओर से निर्धारित की गई प्रति बीघा आय की रिपोर्ट पहुंच गई है। इस आधार पर पटवारी की ओर से आय प्रमाण पत्र की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। विभाग की वेबसाइट पर रेट की लिस्ट डाली है।
Courtesy : http://www.bhaskar.com/article/HIM-OTH-1893477-2966297.html

राजनीतिक इशारों पर काम कर रहा राजस्व विभाग


जवाली — लोकसभा सांसद डा. राजन सुशांत को पार्टी हाइकमान द्वारा निलंबित किए जाने के उपरांत उनके प्रतिद्वंद्धी खासकर भ्रष्टाचार में संलिप्त लोग अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के साथ-साथ डा. राजन सुशांत की गैर मौजूदगी में नए-नए हथकंडे अपनाकर लगातार प्रयासरत रहकर उनकी छवि को धूमिल करने के अलावा मानसिक रूप से प्रताडि़त करने में जुट गए हैं। डा. राजन सुशांत की पत्नी सुधा सुशांत अब उनके पक्ष में उतर आई हैं तथा कहा कि राजस्व विभाग एक बार पहले भी उनकी जमीन की पैमाइश कर चुका है। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग राजनीतिक  इशारों पर इस प्रकार के कार्य को अंजाम दे रहा है तथा डा. राजन सुशांत को मानसिक रूप से प्रताडि़त करने का प्रयास किया जा रहा है।  उन्होंने कहा कि डा. राजन सुशांत लोकसभा सत्र दिल्ली में हैं तथा मैं भी पिछले करीब दस दिनों से दिल्ली में हूं और विभाग ने बिना सूचित किए ही उनकी अनपुस्थिति में भूमि की पैमाइश की है।
March 14th, 2012

Friday, 9 March 2012

Tentative Seniority List of Patwaris issued by D.C. of Chamba District











Pay Scale of Naib-Tehsildar and Kanungo revised in Punjab

Pay Scale of Naib-Tehsildar and Kanungo has been  revised in Punjab from Pay Band 10300-34800 Grade Pay 4200 Initial Pay 16290 to Pay Band 10300-34800 Grade Pay 4800 Initial Pay 18250 and Pay Band 10300-34800 Grade Pay 3600 Initial Pay 14430 to Pay Band 10300-34800 Grade Pay 4200 Initial Pay 16290 respectively. Notifications Dated 21-12-2012 in this regard follow:-